मंगलवार, 7 जून 2016

सिंगापुर यात्रा संस्मरण भाग 5.


आइये जानें कुछ और बातें सिंगापुर के बारे में 

अर्थशास्त्रियों ने सिंगापुर को 'आधुनिक चमत्कार' की संज्ञा दी है। यहाँ के सारे प्राकृतिक संसाधन यहाँ के निवासी ही हैं। सिंगापुर में पानी मलेशिया से, दूध, फल व सब्जियाँ न्यूजीलैंड व ऑस्ट्रेलिया से, दाल, चावल व अन्य दैनिक उपयोग की वस्तुएँ थाईलैंड, इंडोनेशिया आदि से आयात की जाती हैं।... 
 यहाँ दो तरह का जीवन ही पाया जाता है एक उत्साह उर्जा जोश से भरपूर ,परियों के देश में विचरते हाथ में हाथ लिए रंग बिरंगे सपने बुनते ,नए नए फैशन के प्रतीक दूसरा सूखी और झुर्रीदार त्वचा से झांकता पलायन जो जिंदगी के साथ ताल से ताल नहीं बिठा पा रहा ... 
राजनीति :-- 
सिंगापुर एक लोकतांत्रिक देश है जहाँ पीपल्स एक्शन पार्टी का बोलबाला रहा है । ली कुआन यू इसके सबसे प्रभावशाली नेता थे  इस दौरान सिंगापुर ने बहुत व्यावसायिक प्रगति की । यहाँ की संसद एक सदन वाली है जिसके पास विधान बनाने का हक है । इसके अलावे यहाँ की सरकार में कार्यकरने वाली कार्यपालिका तथा न्याय मामलों के लिए न्यायपालिका दो अन्य अंग हैं । 
पर्यटन :-- 
सिंगापुर में पर्यटन एक प्रमुख उद्योग है और हर साल ये लाखों की संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता है।सिंगापुर के प्रमुख पर्यटन स्थलों की बात करें तो ये दर्जा ऑर्चर्ड रोड डिस्ट्रिक्ट को जाता है; यहां बहुमंजिला शॉपिंग सेंटर्स की और होटलों की भरमार है। सिंगापुर में मरीना बे, बुगीस स्ट्रीट, चाइनाटाउन, गेलैंग सराय, कांपोंग गेलाम, अरब स्ट्रीट, लिटिल इंडिया, नॉर्थ ब्रिज रोड, ऑर्चर्ड रोड और द सबर्ब्स जैसे शॉपिंग सेंटर विकसित किए गए हैं। सिंगापुर के दूसरे आकर्षक पर्यटन स्थलों में सिंगापुर चिड़ियाघर और नाइट सफारी को शामिल किया जा सकता है...
सिटी टूर .. 
पर्यटकों के लिए एक सिटी टूर की व्यवस्था भी है ,जिसमे डबल डेकर खुली छत वाली ए सी बस सिंगापुर की यात्रा कराती है ,जिसमे साथ साथ उद्घोषणा होती रहती है जो स्थानों के इतिहास और विशेषता के बारे बताते हुए चलती है कुछ द्रश्य अवश्य ही आपका मन मोह लेते हैं .. इसके इलावा काफी टूरिस्ट बसें आपको आपके गंतव्य तक पहुँचाती हैं ..


यातायात व्यवस्था:-- 
यहाँ की यातायात व्यवस्था बहुत अच्छी है क्योंकि लम्बी ,साफ सुथरी सड़कें बिना किसी अवरोध के इसकी शान हैं .. यातायात में मेट्रो  ,डबल डेकर बस  ,टैक्सी ,छोटी उड़ती हुई रेलें जिन्हें मोनोरेल भी कहते हैं ,मुख्य हैं और ये करीब-करीब वहां के सभी पर्यटन स्थलों को और ऑफिस वगेरह को कवर करती है जिससे पर्यटकों को घूमने में और आम लोगों को अपने गंतव्य पर पहुँचने में आसानी रहती है। यहां का बेहद लोकप्रिय मास रैपिड ट्रांजिट (MRT) सिस्टम है यानि मेट्रो  .. ..
ट्रैफिक यहाँ सुव्यवस्थित और सुनियोजित है सिर्फ लाल हरी बत्तियों और सड़कों पर खिंची रेखायों के दम पर पूरा ट्रैफिक चलता है बिना किसी भी ट्रैफिक पुलिस या अवरोध के ...और बिना किसी हॉर्न के ... जिसे बजाना यहाँ असभ्य समझा जाता है ... 

यहाँ लोगों के पास गाड़ियाँ और बाइक बहुत कम हैं क्योंकि ये बहुत महँगे हैं यह सरकार की तरफ से जाम , वाहनों की भीड़ से बचने और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए उठाया गया एक कारगर कदम है .. लगभग सभी लोग मेट्रो का प्रयोग करते हैं ... 
टैक्सी .. मेट्रो के बाद टैक्सी यहाँ यातायात का मुख्य साधन है ..यहाँ लगभग 28,286 टैक्सी हैं और 148 स्वतंत्र ड्राईवर ,टैक्सी के फ्लैग डाउन चार्जेज बहुत ही कम हैं ,3 डॉलर से 5 डॉलर के बीच ,शाम 6 बजे के बाद यहाँ नाईट चार्जेज शुरू हो जाते हैं ... एक और बात यहाँ बहुत बढ़िया लगी ..जब भी कोई टैक्सी एक निश्चित बोर्ड के नीचे से निकलती है तो वहां उसका कुछ टैक्स कट जाता है और सामने बोर्ड पर लिखा आ जाता है  ,क्योंकि उस रोड पर जाने का टैक्स है ,शायद हमारे टोल टैक्स जैसा लेकिन बहुत ही शानदार तरीका ... 
हर दस वर्ष के बाद यहाँ बाइक्स और गाड़ियाँ वापिस ले ली जाती हैं और उनके टायर जला दिए जाते हैं ... 
सिंगापुर का जायका:-- 
सिंगापुर में शॉपिंग के साथ साथ खान-पान को भी खास कर पर्यटकों के लिए एक आकर्षण के तौर पर प्रचारित किया जाता है और ये काम आमतौर पर सिंगापुर टूरिज्म बोर्ड या इससे जुड़ी दूसरी संस्थाएं करती हैं। सिंगापुर की पाक प्रणाली के प्रचार के लिए सरकार हर साल जुलाई में सिंगापुर फूड फेस्टिवल का आयोजन करती है।वहां मैक डोनल्ड्स, पिज्जा हट, केएफसी, बर्गर किंग, सबवे, लॉन्ग जॉन सिल्वर्स और मॉस बर्गर जैसे फास्ट फ़ूड चेन्स का भी फैलाव हुआ है। इसके साथ ही वहां स्थानीय रेस्तराओं की भी भरमार है। 
मौसम :-- 
यहाँ का मौसम वैसे तो गर्म है लेकिन कभी भी झरिदार बरसात होने लगती है ,लगभग हर लोकल के हाथ में एक छाता अवश्य होता है 
 वैसे तो पूरे वर्ष में सिंगापुर घूमने के लिए कभी भी आ सकते हैं ,मौसम इसमें बाधा नही डालता है ,जनवरी फरवरी का मौसम बढ़िया रहता है ना ज्यादा गर्मी ना ही सर्दी ,मई जून सबसे गर्म रहते हैं ,जुलाई से सितम्बर में यहाँ फ़ूड फेस्टिवल और सिंगापुर सेल पर्यटकों को काफी लुभाते हैं ,नवम्बर दिसम्बर में काफी बारिश रहती है ....... 
साफ़ सफाई :--
यहाँ बहुत ही साफ़ सफाई है और सड़क पर कूड़ा डालने वाले से यहाँ मोटा फाइन लिया जाता है और उसी से सबके सामने उठवाया भी जाता है .. यहाँ हर सड़क पर छोटे, बड़े ढके हुए सरकारी डस्टबिन रखे गए हैं जिनमें पहिये लगे हुए हैं ..सुबह सुबह यहाँ सफाई के साथ ही डस्टबिन खाली कर दिए जाते हैं ... 


पर्यावरण :-- 
सिंगापुर प्राक्रतिक सम्पदा से भरपूर है ,इस देश में पर्यावरण का पूरा ख्याल रखा जाता है और प्रकृति तथा विरासत संरक्षण संबंधी कई कार्यक्रम चलाए जाते हैं जिससे लोगों को जागरूक किया जा सके |
जनसँख्या :-- 
यहाँ की जनसँख्या लगभग 40 लाख है इसलिए  देश में बर्थ रेट कम होने की वजह से सिंगापुर काफी परेशान है। जनसंख्‍या बढ़ाने की कोशिशों के तहत ही यहां एक दिन की छुट्टी विशेष तौर पर दी जाती है ताकि लोग सेक्‍स कर सकें। 
कुछ रोचक तथ्य :--
एक ख़ुशी और आश्चर्य का विषय है कि यहाँ लगभग 80% महिलाएं कामकाजी हैं जो मेट्रो ट्राम बसें सब चलाती हैं और 18 साल का होने पर लड़कों को 2 साल के लिए सरकार को देना पड़ता है ताकि वो उनकी हर क्षेत्र में उचित ट्रेनिंग कर सके|

सिंगापुर में आप किसी दीवार पर न तो पोस्टर चिपका सकते हैं और न ही कुछ पेंटिंग बना सकते हैं। ऐसा करने पर आपको तुरंत सजा सुनाई जा सकती है। 

सिंगापुर में च्यूंगम आप नहीं खरीद सकते। सरकार ने इस पर रोक लगा दी है|
आप सड़क किनारे कहीं पेशाब नहीं कर सकते। पब्लिक प्लेस पर पेशाब करने पर भारी फाइन होता है |
यहाँ हर तरह की पोर्नोगार्फ़ी पूर्णतया बैन है |

पाँचवां दिन :--
आज हमारी फ्लाइट रात 7.40 की थी ,इसलिए हमें 4.40 से पहले एअरपोर्ट पहुँचना था ..अभी 12 बजे थे चेक आउट टाइम हो चुका था हमने सब पैक करके होटल के काउंटर पर जमा करा दिया था ...अब हम नाश्ते पानी के लिए और कुछ और मटरगश्ती के लिए बाहर निकल गए थे ... 
मुस्तफा माल :-- 
अपना मनपसंद नाश्ता करके हम मुस्तुफा माल पहुंचे जोकि लिटिल इंडिया में एक अति आधुनिक माल है ..क्योंकि अभी तक हम बाहर घूम कर चले जाते थे  इसके अंदर जाने का मौका नहीं मिला था ... यहाँ बिलकुल भारत जैसा ही लग रहा था सब वही ब्रांड ,सस्ते भी महँगे भी ..यहाँ कोई ऐसी चीज नही है जो आपको ना मिल सके ...यहाँ काफी गिफ्ट आइटम भी आपको मिल जाएँगी यहाँ से भी हम लोगों ने काफी कुछ लिया इसका फ़ूड कोर्ट बाहर ही बरामदे में है और वहीँ पर बैठने की व्यवस्था है ... .. 

यहाँ बिलकुल इसके सामने एक डी.ए.वी.स्कूल है यहाँ पर बच्चों को और बूढ़े लोगों को भी हिंदी सिखाई जाती है ...


यहाँ से हम वापिस अपने होटल की तरफ बढ़ने लगे और साथ साथ शौपिंग हो रही थी ... 4 बजे हम होटल में पहुँच गए थे कुछ और जो शौपिंग हुई थी उसे बैग में रख लिया था अब निकलने का समय हो गया था ... हम अपना सामान लेकर बाहर आ गए और थोड़ी देर में ही हमें टैक्सी मिल गई थी ... बारिश शुरू हो गई थी जब हम एअरपोर्ट पहुँचे तो जोरदार बारिश ने अलविदा किया जैसे हमें रोक रही हो ...मौसम बहुत सुहावना हो चुका था ... हमने टैक्सी से सामान लिया  दिल में कुछ अधूरे अरमान और स्वप्निल यादें लिए हम अंदर प्रवेश कर गए थे... सामने ही चेक इन करने की कतारें लगीं थी .. हम भी कतार में थे ... इस वक्त जो इमीग्रेशन फॉर्म का आधा हिस्सा हमें दिया था वो उन्होंने मांग लिया .. हम दो लोग भूल आये थे एक दिखा दिया था ..बाकी ने बोल दिया गुम हो गया .. उसमें कोई समस्या नहीं थी ...बोर्डिंग पास मिल गया था .. दोबारा वही लगेज जमा कराने के बाद ..हम फ्री थे .. अब बारी थी पेट पूजा की क्योंकि अभी लगभग दो घंटे थे हमें बोर्ड करने में ... 

आखिर वो समय आ ही गया जब घर वापिसी का दिन आया और हम भारत आने वाले विमान में बैठ गए ... हमने घर फ़ोन करके सूचित कर दिया की हम लोग विमान में बैठ चुके हैं और फिर अपने सामने लगी स्क्रीन पर कोई अन देखी फिल्म ढूंढने लगे ... साथ साथ विमान से सूचनाएं प्रसारित हो रहीं थी और हमने अपनी बेल्ट वगेरह बांध ली थी ... लगभग आधा घंटा विमान स्टार्ट होने के बाद भी एअरपोर्ट पर खड़ा था शायद मौसम ख़राब था इसलिए उड़ान में देरी हो रही थी .. फिर धीरे धीरे रन वे पर और फिर हवा में से सितारों की तरह टिमटिमाता सिंगापुर अपनी आखिरी विदाई दे रहा था और हम निशब्द इसे निहारते हुए मंत्रमुग्ध हो गए ... अपनी उंचाई पर पहुँच कर अब यह सुरक्षित आगे बढ़ रहा था ... इसके बाद खाना बाँटा  गया ,बीच बीच में सूचना होती ... अपनी कुर्सी की पेटी बाँधें रखने के लिए और अपने स्थान पर बैठे रहने के लिए क्योंकि मौसम थोड़ा ख़राब था ... हम लोग अपनी फ़िल्में देखने में व्यस्त थे .....
सिंगापुर जाते हुए वहां की परिचारिकाएँ कोई भी कूड़ा, गिलास वगेरह फट से ले जाती थीं ..लेकिन आती बार क्योंकि हम भारत में आ रहे थे इसलिए कूड़ा ज्यों का त्यों वहीँ गिर रहा था और हमारे उठने के बाद पैरों में आ रहा था ,हम लेट हो चुके थे लेकिन हम सुरक्षित भारत में उतर चुके थे ... वापिसी में वही फिर से पासपोर्ट पर एक ठप्पा लगाया गया और हम बाहर आ गए  ... एअरपोर्ट पर तो जैसे इस समय बहार आई हुई थी शॉप्स में काफी चहल पहल थी ..सबसे ज्यादा शराब की ड्यूटी फ्री दुकानों पर यहाँ एक पासपोर्ट पर 2 लिटर शराब मिल रही थी यानि वास्तविक मूल्य से कम मूल्य पर ..... अब हमने अपना लगेज लेकर ट्राली ली और टैक्सी स्टैंड का रुख किया... 
यहाँ आते ही अन्तर पता चल रहा था ..सारी सुविधाएँ वही हैं लेकिन तौर तरीके नियम कानून सभी ताक पर रखकर कोई भी बीच सड़क ट्राली छोड़कर चला जाता है ,कोई कैसे भी बिना कतार के गाड़ी लगा देता है ... पैदल यात्रियों के लिए रोड क्रॉस करने के लिए इंडिकेटर की एक कमी नजर आती है ...   टैक्सी लेकर हम ने घर पहुँच कर चैन की साँस ली .. सही ही कहते हैं ..जो सुख छज्जू दे चौबारे वो बलख ना बुखारे ...  

ध्यान योग्य विशेष बातें:--
* पासपोर्ट 6 महीने की समय सीमा तक वैलिड होना चाहिए |
* वीजा की कारवाई लगभग एक महीना पहले शुरू करें |
* करेंसी बदलवा कर जाएँ सिंगापुर और यू एस डॉलर में और बहुत        जरुरी उसका उचित बिल हमेशा साथ लेकर जाएँ |
* अन्तराष्ट्रीय उड़ान के लिए उड़ान से लगभग 3 घंटे पहले पहुँचें |
* सामान कम और घर से तोल कर उतना ही ले जाएँ जितना भार         आपकी टिकट में अंकित है |
* कोई भी केमिकल या कोई भी तरल पदार्थ जो 100 ml से ज्यादा की   बोतल हो आप नहीं ले जा सकते चाहे कोल्ड ड्रिंक,पानी ही क्यों ना       हो और चाहे वो आधी खाली हो तो भी नहीं ... 
* कोई भी नुकीली चीज कैंची, रेजर वगेरह आप हैण्ड कैरी में नहीं ले      जा सकते ,इसलिए इसे लगेज में पैक करें |
* खाने का कुछ भी खुला हुआ सामान नहीं ले जा सकते पैक्ड सामान    भी लगेज में ही पैक करें |
* अगर आप मैनेज कर सकते हैं तो पॅकेज लेकर ना जाएँ यह निसंदेह    काफी मँहगा रहता है और आपको उनके अनुसार बंदिश में घूमना      पड़ता है |
* घूमने के लिए जूते बहुत ही आरामदायक लेकर जाएँ |
* मनपसंद खाने का सामान ,नमकीन ,मट्ठी , थेफ्ले वगेरह लेकर            जाएँ शाकाहारी पर्यटकों को काफी सुविधा होगी ..
* क्रेडिट कार्ड या ट्रेवल कार्ड भी बहुत जगह उपयोग हो जाता है ,          लेकिन इसे छोटे छोटे मूल्य चुकाने में प्रयोग ना करें ,क्योंकि हर          बार कुछ टैक्स कटता है |
* छाता लेकर जाएँ ,बारिश कभी भी होने लगती है ..
* काल कर के किसी भी टैक्सी को बुलाएँगे तो उसके तीन डॉलर            अतिरिक्त देने होते हैं |
* दूसरे देश में कहीं भी घूमने जाएँ तो अपना पासपोर्ट साथ लेकर ही      जाएँ 
जनवरी फरवरी और जुलाई से सितम्बर बढ़िया हैं सिंगापुर भ्रमण के    लिए 

सीखने लायक कुछ बातें :--
*सफाई कैसे रखी जाये
*पर्यावरण संरक्षण कैसे किया जाये 
*बिना अवरोध ,बिना ट्रैफिक पुलिस के सुचारू सुव्यवस्थित यातायात  
*पैदल यात्रियों के लिए हर सड़क पर ज़ेबरा क्रासिंग 
*फुर्तीली ,चुस्त,दुरुस्त ,नियमबद्ध,समयबद्ध खुशनुमा जिंदगी कैसे जियें 
*सख्त सुचारू कानून व्यवस्था ,बिना किसी पुलिस के ..जो पांच दिन में         हमने कहीं नहीं देखी  

एक महीने की यात्रा में से कुछ अविस्मरणीय पलों को पाँच दिन की यात्रा में समेट पाए हमारा सौभाग्य था  ... किसी ने सही कहा है बहुत निकले अरमान लेकिन कम निकले ख्वाहिश ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले |
चलिए दोस्तों जल्दी ही मिलती हूँ किसी ओर यात्रा संस्मरण की रोचक जानकारियों के साथ ... तब तक के लिए विदा .. स्वस्थ रहें ,मस्त रहें, यात्रायें करें ... मेरे साथ साथ आप भी ...  

सिंगापुर यात्रा संस्मरण भाग 4.

गार्डन्स बाय दी बे :--
यह 101 एकड़ में बना हुआ है , यहाँ प्रवेश शुल्क 8डॉलर से लेकर 28 डॉलर तक है ...बाहिरी गार्डन्स की कोई टिकट नही है ...  कुछ कुदरती पेड़ों के बीच कृतिम पेड़ों से सजा हुआ बे जब लाइट एंड म्यूजिक शो में चमचमाता है तो सबकी धडकनें रुक जाती हैं ... शो देखने के लिए आपको  बार बार गर्दन ऊपर करके देखना पड़ता है क्योंकि ये सुपर ट्रीज इतने ऊँचे हैं कि आप लगातार इसे मुँह उठाये देख नहीं सकते ... इसका समय सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक है .. 


मॉल से बाहर आते ही सामने लम्बे लम्बे पेड़ों से सजे दो शानदार रास्ते थे एक जाने का ,एक आने का ... उसमें से चलते हुए सितारों की तरह चांदनी बिखेरती हुए लाइटें चारों तरफ सुंदर द्रश्य पेश कर रहीं थी ... वहां कुछ तस्वीरें लेना तो लाज़मी था ... यहाँ से सिंगापुर फ्लायर रौशनी में चमचमाता हुआ और नीचे पानी में उसकी परिछाई .. वाह वाह के इलावा कुछ बोल नहीं पा रहे थे ..मंत्रमुग्ध होकर हम इसका आनन्द लेते हुए कुछ तस्वीरें भी ले रहे थे ... .अब हम चलते चलते एक  एक्सेलेटर से उतरकर गार्डन्स बाय दी बे में थे ... समय हो चुका था लाइट एंड म्यूजिक शो का ...वाह क्या बात! क्या बात! म्यूजिक के साथ रंग बदलते सुपर ट्रीज ... लाजवाब लग रहे थे ... 
सुपर ट्रीज :--
सुपर ट्रीज पेड़नुमा स्ट्रक्चर जोकि 25 मीटर से 50 मीटर तक ऊँचे हैं यह वर्टीकल गार्डन्स हैं जो  कई प्रकार के काम आते हैं ,छाया देने के ,पौधे उगाने के और बगीचे के एनवायर्नमेंटल इंजन का काम करते हैं ... लम्बे लम्बे पौधों के बीच फ़र्न,आर्किड और बहुत सारे पौधे उगाये गए हैं .. ये सोलर एनर्जी पैदा करते हैं जो इनको लाइट देने के काम आती है ,बरसाती पानी इकठ्ठा करने के काम आते हैं जिससे सिंचाई की जाती है ... सुपर ट्रीज को आपस में जोड़ता हुआ स्काईवे लगभग 22 मीटर ऊँचा और 128 मीटर लम्बा है जिसके ऊपर जाकर इसे पास से महसूस करने के लिए इसकी 5 डॉलर की टिकट अलग से है... .. 


डोम गार्डन्स [ग्लास हाउसेस ]:-- 
ये ऐसे हाउस हैं जिनकी दीवारें और छत्त ग्लास की बनी हुई हैं बिना किसी भी कॉलम के ..यहाँ दो ठन्डे कॉम्पेक्स हैं दी क्लाउड फारेस्ट और दी फ्लावर डोम .. क्लाउड फारेस्ट ज्यादा ऊँचा लेकिन 2 एकड़ में बना हुआ है ,लेकिन फ्लावर डोम नीचा और 3 एकड़ में बना हुआ है ...


दी क्लाउड फारेस्ट यानि ठंडा बादल वन :--
क्लाउड फारेस्ट की टिकट हमारे पॅकेज में पहले से थी ... इसमें मानव निर्मित पहाड़ जोकि 138 फीट ऊँचा है और  कृतिम वाटर फाल है जोकि संसार का सबसे लम्बा इनडोर वाटर फॉल है ..यह 115 फीट की ऊँचाई से नीचे गिरता है ....इसके अंदर प्रवेश करते ही आपका स्वागत ताज़ी और ठंडी हवा से होता है ..यहाँ पहाड़ों पर उगने वाले पौधे जोकि समुन्द्र तल से 1000 मीटर से 3000 मीटर तक की ऊँचाई पर होते हैं वो वातावरण दिया गया है ..इसकी सातवीं मंजिल पर पहुँचने के लिए लिफ्ट का प्रयोग किया गया है जिसमें आप उड़ते हुए बादलों को महसूस कर सकते हैं देख सकते हैं ... अद्भुत दृश्य ... जिसे लॉस्ट वर्ल्ड का नाम दिया गया है .. 



इससे नीचे उतरने के लिए एक घुमावदार रास्ता बनाया गया है जो पेड़ पौधों से सजा हुआ है ... उससे नीचे छटी मंजिल पर है कैवर्न .... पाँचवीं मंजिल से आप वाटर फाल का व्यू देख सकते हैं .. चौथी मंजिल पर क्रिस्टल माउनटेन  है यहाँ पहाड़ियों को अलग अंदाज से दिखाया गया है यहाँ छत्त पर बहुत बड़े बड़े दर्पण लगे हुए हैं पहली मंजिल पर नीचे +5 डिग्री और -5 डिग्री तापमान दिखाया गया है ... कुल मिला कर आनंद ही आनंद ..


फ्लावर डोम यानि फूल गुम्बद :-- 
क्लाउड फारेस्ट देखने के बाद समय नहीं बचा था कि हम फ्लावर डोम को देख पाते .... इसमें ऑस्ट्रेलिया,साउथ अमेरिका,साउथ अफ्रीका के पौधे आपको मिलेंगे यहाँ का वातावरण ड्राई और माइल्ड है आर्किड फ्लावर यहाँ की विशेषता है ..इसके अंदर सात अलग अलग गार्डन हैं ...इसमें फूलों की हजारों किस्में हैं ,कई मंजिलों पर ,पोस्टर्स,मूर्तियाँ ,स्लाइडशो ,पर्यावरण प्रदर्शनी  और रंग बिरंगी चमचमाती दुकानें हैं,एक डाकुमेंटरी फिल्म यहाँ दिखाई जाती है जिसमे जीवंत दिखाया जाता है कि 2110  में दुनिया कैसी होगी अगर प्रदूषण और पेड़ों की कटाई नही रोकी गई तो  .. आखिरी मंजिल पर बादलों के गुच्छे आपका मन मोह लेते हैं ... एक डिसप्ले फील्ड भी है यहाँ फ्लावर शो होते हैं ..
चिल्ड्रन गार्डन :--
यह छोटे बच्चों के लिए हैं 5साल से छोटे और 6 से 12 साल तक के बच्चों के लिए .... 

गार्डन्स बाय दी बे देखने के बाद हम वापिस चलकर स्काई पार्क की तरफ आये उसकी लिफ्ट से नीचे उतरकर हमने लिटिल इंडिया के लिए टैक्सी ले ली थी 9.30 बज चुके थे ..इसलिए हमने टैक्सी वाले को सीधा मुस्तफा माल के पास  ही छोड़ने को बोला था क्योंकि उसके बाद खाना नहीं मिलना था हमने वहां पहुँच कर शुद्द शाकाहारी भोजनालय आनन्द भवन से खाना खाया और फिर होटल वापिस निकल पड़े ... वहां से हमने चलते चलते आने का फैसला किया और सोचा रात को हाजी लेन चलते हैं सुना था वहां पर रात को कुछ म्यूजिशियन आकर बैठते हैं और गाना बजाना करते हैं ... हम वहां पहुँच तो गए थे किसी तरह पूछते पूछते लेकिन वहां का माहौल कुछ ठीक नहीं लगा और दो चार लोग बैठे भी थे तो अपने में मस्त थे कोई गाना बजाना नही हो रहा था .. हम बुरी तरह थक चुके थे अब वापिस पैदल आने की हिम्मत नहीं थी इसलिए हमने वही से टैक्सी ली और होटल पहुँच गए .... 
चौथा दिन:-- 
ECP :-- आज हमें ईस्ट कोस्ट पार्क जाना था यानि एक ओपन बीच इसलिए हम आराम से तैयार होकर निकले ,पहले पेट पूजा की और फिर टैक्सी ले कर वहां पहुँच गए ... लगभग 15 किलोमीटर लम्बा बीच कई भाग में बंटा हुआ है इसमें सिर्फ D और G में ही आप कैंप लगा सकते हैं वो भी अनुमिति के बिना नहीं ..यह बीच सिंगापुर वालों में काफी चर्चित है ... 
धूप काफी थी लेकिन बीच के किनारे किनारे पूरे पेड़ ही पेड़ थे इसलिए इतना महसूस नही हो रहा था ... थोड़ी देर हमने वहां तस्वीरें वगेरह ली ..उसके बाद हमने एक चार पहिये की साइकिल किराए पर ले ली थी जो एक रिक्शा की तरह लग रही थी .. उसे लेकर हम बीच पर घूमने निकल गए क्योंकि बीच पर आप इतनी लम्बी दूरी पैदल तो तय नहीं कर सकते ... 


रास्ते में तस्वीरें लेते हुए हम बारी बारी साइकिल चला रहे थे क्योंकि बहुत सालों बाद और लगातार साइकिल चलाना मुश्किल था ... यहाँ पिकनिक का माहौल था कुछ लोग जन्मदिन मना रहे थे ,कुछ ग्रुप इक्कठे आये हुए थे जो अलग अलग तरह से अपने में व्यस्त थे ..कुछ म्यूजिक चलाकर नाच गाना कर रहे थे .. कुछ नहाने का मजा भी ले रहे थे लेकिन किनारे किनारे ...क्योंकि यहाँ किसी भी बीच पर तैरना मना है ... हम लोग भी कुछ देर किनारे किनारे पानी के साथ अठखेलियाँ करते हुए तस्वीरें खिंचवा रहे थे ... सामने समुन्द्र में कुछ जहाज भी खड़े थे ... कुछ बोट इधर उधर आ जा रहीं थी ... यहाँ कुछ खाने का सामान लेकर हाकर भी बैठे थे ..उनकी एक जगह निश्चित थी इधर उधर नहीं घूम रहे थे ... कुछ बच्चे स्केटिंग भी कर रहे थे ... कुछ दूसरे खेलों में व्यस्त थे जैसे वाटर गेम्स केबल स्कीइंग वगेरह ... हमारा साइकिल लौटाने का समय हो चला था इसलिए हम पूरी बीच ना देखकर रास्ते में से ही वापिस लौट आये थे ... .. उसे साइकिल लौटाकर हम पास ही एक रेस्तरा में चले गए ... कुछ हल्का फुल्का लिया क्योंकि हमारे लायक वही था केवल फ्रेंच फ्राइज ... इसके बाद थोड़ा चलकर हम बाहर रोड पर आ गए वहां से हमें टैक्सी मिल गई थी ...अब हमने ओर्चिड रोड पर जाने का फैसला किया .. 
ओर्चिड रोड :-- सुना था यह शोप्पिंग के लिए बहुत अच्छी जगह है यहाँ बहुत सारे बड़े बड़े खुबसूरत मॉल हैं और शानदार बड़े बड़े होटल भी ..पर्यटक यहाँ ख़ास खरीदारी के लिए आते हैं ... यहाँ हर वस्तु उपलब्ध है लेकिन दाम लगभग वही हैं जो आपको दिल्ली में भी आराम से मिल जायेंगे कोई ऐसी वस्तु दिखी नही जो यहाँ ना मिलती हो ..इसलिए वहां से कुछ उठाकर मत लाइए ... 
बुगीज जंक्शन :-- बारिश  होने लगी थी ..अब हम ने बुगी जंक्शन के लिए टैक्सी की ..उसके सामने ही थी बुगी स्ट्रीट जो दिखने में पालिका बाजार और जनपथ की तरह लग रही थी ..बहुत सारी शॉप्स और बहुत सारी बारगेनिंग भी बिलकुल भारत जैसी ... यहाँ आप सस्ते में काफी कुछ खरीद सकते हैं लेकिन इतना सस्ता नहीं ... कपड़े सिंगापुर में मँहगे हैं .. यहाँ हमने कुछ जरूरी शौपिंग कर ली थी ... फिर हम होटल वापिस आ गये थे ... अगले दिन हमारी वापिसी थी इसलिए यह होटल में हमारी आखिरी रात थी ... हम सब पैकिंग में लग गए थे ...कुछ जरुरी पैकिंग सुबह के लिए छोड़ कर हमने सब पैकिंग कर ली थी ..अपना पासपोर्ट, टिकट, वीजा सब एक पर्स में सुरक्षित रख लिया था ताकि सुबह कोई भाग दौड़ नहीं हो ... 
अन्य दर्शनीय स्थल :--
जूरोंग बर्ड पार्क :--
एक अन्य जूलॉजिकल गार्डन है जो पक्षियों पर केंद्रित है। यहां पर्यटकों को एक हजार फ्लैमिंगों पक्षियों के झुंड के अलावा दुनिया भर में पाए जाने वाले पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों और किस्मों को देखने का मौका मिलता है। .. रेप्टाइल पार्क, जूलॉजिकल गार्डन भी विशेष हैं ..
रिवर थीम वाइल्ड लाइफ पार्क :--
यह दुनिया भर की प्रसिद्ध नदियों के नाम पर बनाया गया है ,बाहर एक बोर्ड पर लिखा है ''दुनिया की नदियाँ ''भारत के हिस्से में गंगा नदी ,मिस्सीसिप्पी नदी, में पेडल फिश ,मेकोंग नदी में केट फिश ,यांत्ज नदी में पांडा दर्शाए गए हैं 
संग्रहालय :-- 
यहाँ अनेकों संग्रहालय हैं जिनमे से कुछ का जिक्र करना जरुरी है ...
एशियन म्यूजियम एक  पौराणिक संग्रहालय है यहाँ दक्षिण एशिया का इतिहास एवं कुछ विश्व प्रसिद्ध कृतियाँ सुरक्षित हैं ,इसमें विक्टोरिया थिएटर में सिंगापुर के प्रतिष्ठित कार्यक्रम होते हैं 
नेशनल म्यूजियम ऑफ़ सिंगापुर जिसे स्टोरी ऑफ़ द लायन भी कहा जाता है इसमें बुद्ध के दृश्यों एवं इतिहास को दीर्घ चित्रों साहित्य प्रदर्शनी के रूप में दिखाया गया है जिसमे 
'लाइफ आफ्टर डेथ 'को नीली रौशनी से और युद्ध दृश्य सिंदूरी रौशनी से दिखाए गए हैं 
इसके इलावा भी यहाँ ढेरों म्यूजियम हैं जो अलग अलग खजाना समेटे हुए पर्यटकों का मन मोह लेते हैं ...
मंदिर :-- यहाँ हिन्दू चीनी ,बौद्ध मंदिर भी बहुत हैं जिनमे अद्भुत कारीगरी के नमूने पेश किये गए हैं .. ,इसके इलावा मस्जिद ,चर्च भी हैं समय हो तो इनको भी देखिये ..  
पर्लियामेट हाउस ,और बहुत सारी इमारतें अपने में अपार खजाना समेटे हैं 

क्रूज :-- यहाँ कई तरह के क्रूज हैं जो एक दिन से लेकर कई दिनों तक की समुद्री यात्रा आपको करवाते हैं आपके समय,धन के अनुसार .,सिंगापुर क्रूज आधुनिकता की और भव्यता की मिसाल हैं ....हमारे पास समय काअभाव था और क्रूज की ऑनलाइन बुकिंग नही हो पाने के कारण हमें मलाल रहेगा कि हम सिंगापुर की समुद्री यात्रा नहीं कर पाए ... 

क्रमशः भाग 5.

सिंगापुर यात्रा संस्मरण भाग 3

दूसरा दिन :--
आज हमने पहले से ही टूर एंड ट्रेवल से पता कर लिया था ज सिंगापुर जू जाने की तैयारी थी ,इसके साथ ही है रिवर सफारी और नाईट सफारी .. क्योंकि हम सभी रास्तों से वाकिफ नहीं थे   , इसका हमने SAEx का पैकेज ले लिया था कोई भी दो स्थल देखने का .. 12 बजे हमें पिक अप पॉइंट पर पहुँचना था .. वैसे यहाँ सब दर्शनीय स्थल मेट्रो से जुड़े हुए हैं और यहाँ बस सर्विस भी बहुत अच्छी है जिनके नाम हमारी मेट्रो जैसे हैं ब्लू लाइन,येलो लाइन ,रेड लाइन वगेरह .. .. कुछ खाने का सामान साथ लेकर हम अपने पॉइंट पर पहुँच गए थे ... निर्धारित समय से थोडा लेट एक बड़ी टैक्सी आकर रुकी जिसे एक लगभग 60 बरस की महिला चला रही थी इसे 'लिमोजिन टैक्सी' कहते हैं  ,फैमिली के लिए यह बहुत ही बढ़िया है अंदर से बहुत ही खुबसूरत .. हम कुल पाँच लोग थे हमें लेकर यह सीधा जू के पास के स्टैंड पर हमें छोड़कर लौट गई ... .. जू और रिवर सफारी दोनों का देखने का समय सुबह का है  ..इनमें से आप कोई एक या दोनों भी देख सकते हैं  हमने जू देखने का मन बनाया ... कुछ चाय वगेरह लेकर हमने बेजुबानों की दुनिया की ओर रुख किया .. .. 
सिंगापुर जू :--
सिंगापुर जू की खासियत यह है कि यहाँ सभी जानवरों को खुले में रखा गया है कोई भी पिंजरा हमें नजर नही आया ..छुपी हुई गहरी खाई या काँच की दिवार से उनकी पर्यटकों से दूरी बनाई गई है ..आप आमने सामने उनको देख सकते हैं ... 


इसके बीच में अगर आप पैदल चलकर सब देखना चाहते हैं तो आपकी मर्जी है नहीं तो यहाँ पाँच स्टॉप बनाये गए हैं यहाँ से आप खुली लम्बी बहुत ही सुविधाजनक ट्राम में बैठकर भी इसे देख सकते हैं इसकी टिकट है .. आप किसी भी स्टॉप पर उतरकर किसी से भी चढ़ सकते हैं ... इसमें लगभग 30 से 40 लोग बैठ सकते हैं ..लेकिन आपकी टिकट हर बार चेक होती है और सभी कतार में ही आते हैं  और बिना स्टॉप के यह बीच में कहीं नहीं रूकती है ..  हर स्टॉप  के पास ही कोई ना कोई एनिमल शो होते हैं जिनके जरिये लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया जाता है .. इन्हें मिस नहीं करें ... बीच बीच में खान पान की भी अच्छी व्यवस्था है ... निसंदेह शाकाहारी भोजन तो ना के बराबर ही है ...
हम कुछ देर पैदल चले और फिर हमने ट्राम से ही घूमना बेहतर समझा क्योंकि गर्मी बहुत थी .. सब स्टॉप पर रूककर हमने लगभग सभी कुछ देख लिया था तस्वीरों के जरिये बेजुबानों से बातचीत कर ली थी  .. 5.30 बजे आखिरी ट्राम ने हमें स्टॉप पर छोड़ दिया था ... वहां से चलकर हम कुछ खाने के लिए जा ही रहे थे लेकिन वो बंद हो गया था ... हमने बाहर की ओर प्रस्थान किया ... बाहर आकर कैफ़े में हमने कुछ खान पान किया लगभग 6.30 बज गए थे .. कुछ और समय बिताकर हमने नाईट सफारी की तरफ रुख किया ....
रिवर सफारी :-- रिवर सफारी सिंगापुर जू और नाईट सफारी के बीचों बीच स्थित है ..इसका समय वही है सुबह 8.30 से शाम 6बजे तक ... एक नदी आधारित जू है अमेज़न नदी के आसपास बड़े बड़े एक्वेरियम और कुदरती नजारों से सजा यह जू अपनी तरह का दुनिया में पहला जू है ... इसमें लगभग 5000 जानवर हैं ... बोट राइड के बिना रिवर सफारी अधूरी है .. बोट राइड 10 मिनट की है.. पहली बोट राइड 11 बजे शुरू होती है और आखिरी 5.30 बजे ..यह मौसम आधारित होती है .. अगर मौसम खराब हो तो टिकट के पैसे  लौटाए नहीं जाते हैं ..इसमें गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों को बैठने की अनुमति नही है ... इसमें भी आप को एक अद्भुत और नया अनुभव मिलता है   ... 
नाईट सफारी :-- यह संसार का पहला 'रात्रि जू 'है यहाँ पर आप जानवरों को खुले में घूमते हुए देख सकते हैं  ..आप ट्राम में बैठते हैं तो आपको हिदायत दी जाती है कैमरे की मोबाइल की फ़्लैश ऑन नहीं करें और कोई शोर नहीं करें  ..यहाँ की रौशनी भी इस तरह रखी गई है जैसे चाँद की चाँदनी हो .. इसमें भी दो स्टॉप हैं यहाँ उतरकर आप जानवरों को और करीब से देख सकते हैं .. यहाँ भी दो शो होते हैं एक शुरू में है 15 मिनट का आग का शो है जो ब्लोपाइप के साथ किया जाता है जब इंतज़ार में खड़े होते हैं और एक आखिरी में है एनिमल शो ... क्रीएचरज ऑफ़ द नाईट 
नाईट सफारी शाम को 7.30 बजे से शुरू होकर आधी रात तक चलता है .......

नाईट सफारी का प्रवेश समय था 7.30 बजे से .. बहुत लम्बी कतारें थीं यहाँ पर .. यहाँ दो सेल्फ ऑपरेटिंग मशीन थी उसमें से हमने अपनी डिटेल भरी तो समय आया 8.30 का यानि दूसरा शो .. हमें बताया गया कि आप 8.15 बजे आइये ... वही पास ही काफी दुकानें हैं जिन में आप खरीद फरोख्त कर सकते हैं और पेट पूजा भी ..वहीँ बैठकर हमने इंतज़ार करना उचित समझा ...पूरे जू एरिया का नेट बहुत बढ़िया चल रहा था इसलिए थोडा समय व्हाट्सएप और फेसबुक पर ख़राब किया ... 

फिर हम भी कतार में जाकर खड़े हो गये वही आग का शो देखा .. और अपनी बारी के इंतज़ार में आगे बढ़ते रहे ... जैसे जैसे ट्राम आती वो 50...60 लोगों को बिठा कर जंगल की ओर चल देती क्योंकि इस ट्राम में तीन तीन बोगियाँ लगी हुई थीं ... एक दम खुली हुई ..सिर्फ एक छत की व्यवस्था थी ... साथ साथ माइक पर हर जानवर के बारे में उद्घोषणा हो रही थी .यानि सूचना और हिदायत .. सच पूछें तो सुबह से जानवरों को देख  देखकर अब बिलकुल भी मजा नहीं आया बस एक नया अनुभव जरूर था कि जानवर बिना किसी दिवार के बिलकुल हमारे सामने थे ... अकेले कोई हो तो शायद उसके पसीने ही छूट जाएँ लेकिन इतने सारे लोगों के साथ कोई ज्यादा डर भी नहीं था .. ट्राम पर सब सुविधाएँ थी इमरजेंसी के लिए ... उनकी तस्वीरें भी बहुत ही कम ले रहे थे क्योंकि फ़्लैश ऑन नहीं करनी थी और दूसरा हमें ऐसा लग रहा था हम उन सोते हुए बेजुबानों की जिंदगी में खलल डाल रहे हैं ... लगभग 40 मिनट में ट्राम हमें घुमाकर वापिस ले आई थी .. उसके बाद हमने क्रीएचर्ज ऑफ़ नाईट शो देखा और स्टॉप की तरफ बढ़ गए 

हमें बताया गया था की लिटिल इंडिया के लिए आखिरी बस 10.30 बजे चलेगी ... बस आई और लगभग 11 बजे उसने हमें वहां छोड़ दिया था .. वहीँ से हम कुछ खाने के लिए निकले तो पता चला सब बंद हो चुका था ..फिर हमें 7 एलेवेन से नूडल्स लेकर काम चलाना पड़ा ... बहुत थकान थी इसलिए खाते ही सो गए ... 
तीसरा दिन
दो दिन काफी गर्मी और उमस भरे थे आज सुबह से मौसम सुहावना था ..काफी देर से उठे और तैयार होने के बाद हमने सबसे पहले आज पेट पूजा कर के ही कहीं भी निकलने का सोचा ..इसलिए वही पास ही एक रेस्तरा मिल गया यहाँ अच्छा भारतीय शाकाहारी खाना था ... हमें यह सब करने में लगभग 3 बज गए थे और बारिश अभी जारी थी कोई टैक्सी नहीं मिली तो हमने उबर टैक्सी के लिए कॉल लगाई 10 मिनट में वो टैक्सी आ चुकी थी अगर आप कॉल करके किसी भी टैक्सी को बुलाते हैं तो उसके 3 डॉलर एक्स्ट्रा देने होते हैं .. हमने उसे क्लार्क क्वे छोड़ने के लिए बोला .. बारिश में सिंगापुर की खूबसूरती और भी बढ़ जाती है उज्जवल चमकते हुए पेड़ और गगनचुम्बी इमारतें मन को छू जाती हैं ... 
हम कुछ तस्वीरें लेते हुए जा रहे थे .. लगभग 20 मिनट में हम वहां पहुँच गए थे ... 
क्लार्क क्वे [CLARK QUAY]:--
यह एक ऐतिहासिक जगह है जिसका नाम  सिंगापुर के दूसरे गवर्नर एंड्रू क्लार्क के नाम पर रखा गया है ... पुराने समय में यह व्यापार की आवाजावी का ख़ास केंद्र था  सिंगापुर नदी के उत्तरी किनारे पर बना हुआ एक ऐतिहासिक जहाजी घाट है ..यह एक आधुनिक और ट्रेडिशनल जगह है खाने के लिए और नाईट लाइफ के लिए ...इसकी बनावट इसे दिन के समय ठंडा रखने में मदद करती है .... जिसके लिए इसे अवार्ड भी मिल चुका है ...  यहाँ 50 से ज्यादा होटल हैं ,लगभग 20पब, बार डिस्को वगेरह हैं यहाँ रात को संगीत गूँजता है .. नाच गाना खाना पीना ठंडी ठंडी हवा के साथ आप इस का आनंद ले सकते हैं .. 
हम क्लार्क क्वे पहुँच गए थे ..क्योंकि यहाँ नाईट लाइफ ज्यादा प्रचलित है इसलिए हमें दिन में कुछ ख़ास रौनक नहीं मिली ... यहाँ से घूमते हुए आगे निकल गए .. हलकी हलकी बूंदाबांदी हो रही थी ..

बोट क्वे:--

सिंगापुर नदी का दक्षिणी किनारा बोट क्वे के नाम से जाना जाता है ,ऐसा माना जाता था की खुशहाली और पैसा यहाँ बसता है इसलिए यह क्षेत्र बहुत सारी दुकानों से भरा हुआ था ..अब इसका आधुनिकीकरण करके इसे मॉल में परिवर्तित कर दिया गया है ...यहाँ भारतीय पर्यटकों के लिए खास इंतजाम हैं ,यहाँ का हिंदी म्यूजिक लाउन्ज बहुत लोकप्रिय है ..यहाँ भारतीय नर्तकियों को बॉलीवुड के गानों पर नाचते हुए देख सकते हैं ... 
रिवर क्रूज :-  ..
बम बोट जो पहले मालवाहक का काम करती थी वेयरहाउस और जहाज के बीच अब लोगों को नज़ारे [साईट सीइंग ]दिखाने का काम कर रही थी ...   
रिवर क्रूज तभी चलने वाला था जब बारिश बंद हो ..इसलिए हमने रिवर क्रूज की टिकट ले ली और इंतज़ार करने लगे .. थोड़ी ही देर में हमें उसमें बैठने का मौका मिल गया .. यह बाँस लकड़ी की बनी हुई बोट थी जिसमे 20 ..25 लोगों के बैठने की व्यवस्था थी .. कुछ सीटें बाहर खुले में भी लगी हुई थी ... जब बारिश बिलकुल बंद हो गई तो सब बाहर बोट पर आ गए थे ... और आसपास की बड़ी बड़ी इमारतों की तस्वीरें .. पृष्ठ भूमि में कभी स्काई पार्क तो कभी मर्लिओन के साथ अपनी तस्वीरें कैमरे में कैद कर रहे थे ...  एक घंटे का यह रिवर क्रूज और सुहावने मौसम से हमारा उत्साह दोबारा लौट आया था  जो दो दिन की गर्मी से हमने खो दिया था ... 


मर्लिओन पार्क :-- सिंगापुर टूरिज्म की ख़ास निशानी है सिंह का बुत ..जिसे यहाँ पर मर्लिओन कहा जाता है ...यह 8.6 मीटर ऊँचा है और इसका भार 40 टन है ... इसके आसपास लोग पार्क में घूमते हैं और अद्भुत दृश्यों का आनन्द लेते हैं ... रिवर क्रूज में घूमते हुए भीआप इसे देख सकते हैं ..


रिर क्रूज देखने के बाद हमने वही पर ही थोड़ी देर घूमते हुए आनंद उठाया क्लार्क क्वे के सेल्फी स्टैंड पर अपनी फोटो लेकर इसे फेसबुक पर पोस्ट कर दिया ..उसके बाद हम ने स्काई पार्क के लिए टैक्सी ले ली  ...

सेंड्ज स्काई पार्क :-- यह दुनिया का सबसे मँहगा कैसीनो है ,इस में 2561 होटल के कमरे ,800,000 वर्ग फुट का माल ,आर्ट साइंस म्यूजियम ,दो थिएटर ,दो तैरते हुए क्रिस्टल पवेलियन,500 टेबल के साथ दुनिया का सबसे बड़ा कैसीनो ,इसकी छत्त पर 340 मीटर लम्बा स्काई पार्क है जिसमे 3900लोगों की व्यवस्था है ,स्विमिंग पूल और क्लब है ..संसार का सबसे बड़ा छत्त पर बना यह अपनी तरह का एक ही स्विमिंग पूल है ..... अगर इतना काफी नहीं है तो यह कह सकते हैं इसने सिंगापुर की पहचान मर्लिओन की जगह ले ली है ...अब स्काई पार्क सिंगापुर की पहचान बन चुका है .. ... 57 मंजिलों के साथ .....इसे देखने का समय सुबह  9.30 से लेकर शाम के 7बजे तक है ..... 


हम स्काई पार्क पहुँच गए थे ... वहां टिकट दिखाकर हमने लिफ्ट का रास्ता लिया उससे पहले यहाँ सबकी तस्वीर ली गई ... लिफ्ट के अंदर जाने के बाद हम मुश्किल से 2 मिनट के अंदर स्काई पार्क की 56वीं मंजिल पर थे ... यहाँ दिखाई दिया पूरा का पूरा सिंगापुर ... बस फिर शुरू हुआ हर तरह पोज बनाकर अच्छा ख़ासा फोटो सेशन ...  एक तरफ ऊँची ऊँची इमारतें ,एक तरफ समुन्द्र का नजारा ,उसमे रंग बिरंगे क्रूज ... एक तरफ गार्डन्स बाय बे के अद्भुत नज़ारे ... आनंद ही आनन्द ... अभी जैसे जैसे अँधेरा होने लगा पूरा का पूरा सिंगापुर सितारों की तरह जगमगाने लगा पानी में से होकर निकलती रोशनियाँ ... बड़ी बड़ी इमारतों की पानी में झलकती परिछाइयां ... इसे सपनों का शहर कहें तो कोई गलत नहीं होगा .....
अब हमने पास ही गार्डन्स बाय बे में चलने की सोची क्योंकि वहां भी बहुत कुछ देखने को था ... लिफ्ट के रास्ते हम फिर 2 मिनट में नीचे पहुँच गए थे .. अब गार्डन्स बाय बे का रास्ता पूछा ... स्काई पार्क के ही पीछे से लिफ्ट लेकर हम 6 मंजिल पर पहुँचे वहां से स्काई पार्क के माल में से गुजरते हुए रास्ता बाहर गार्डन्स बाय बे की तरफ ले गया .... 


क्रमशः भाग 4.

सोमवार, 6 जून 2016

सिंगापुर यात्रा संस्मरण भाग 2.

सिंगापुर में चांगी हवाईअड्डा एक आधुनिक हवाई अड्डा है इसे देखकर आप उसकी तारीफ़ किये बिना नहीं रह सकते ,बहुत से भारतीय रेसतरा भी यहाँ मौजूद हैं जिसे देखते ही अपनापन सा अनुभव होता है ....
इमीग्रेशन यानि अप्रवास :--
यहाँ हमें फिर से इमीग्रेशन फॉर्म भरना था इसलिए हम काउंटर की ओर बढ़ गए वहां अलग अलग भाषा में फॉर्म रखे थे हमने अंग्रेजी भाषा वाला फॉर्म लिया और उसको सारा भर दिया यहाँ पर हमारा पता वो लिखा जाना था यहाँ हम रुकने वाले थे और कितने दिन .... एक सबसे बढ़िया बात यहाँ पर आपको भाषा की बिलकुल भी असुविधा नहीं होती है क्योंकि सभी अंग्रेजी समझते हैं और बोलते हैं.. फॉर्म भरने के बाद ...पहले की ही भांति बहुत सारे प्रवेश द्वार और काउंटर थे यहाँ हम भी कतार में खड़े हो गए ,हमारी बारी के इंतज़ार में .. अपनी बारी आने पर वो फॉर्म और पासपोर्ट उनको दिया गया जिस पर फिर से एक स्टेम्प लगा दी गई .. हम दो लोग निकल गए थे ,हमारे एक साथी को थोड़ी पूछताछ के लिए रोक लिया गया ..चिंता की कोई बात नहीं थी हमारे पास सारे डाक्यूमेंट्स थे ,डॉलर बदलवाने का बिल भी .. इस वजह से हमें थोड़ी देर जरूर हो गई थी ...इसलिए भारत से बार बार फ़ोन आ रहे थे ..... 
अगर आप 20,000 से ज्यादा डॉलर लेकर जा रहे हैं तो उसकी सूचना एयरपोर्ट पर देनी पड़ती है और आपके पास उसका बिल भी होना चाहिए ... 
अब यहाँ भी पप्पू पास हो चुके थे ... अब बारी थी लगेज लेने की ..हम अपनी लगेज बेल्ट के पास पहुँचे तो सामान पहले से ही बेल्ट के पास नीचे रखा था ..हमने ट्राली ली और उसे लेकर हम बाहर निकल आये .. वहां द्वार पर जो भी अधिकारी ड्यूटी पर थे वो सबके लिये टैक्सी बुला रहे थे .. यहाँ टैक्सी सेवा बड़ी तवरित गति से आ जा रही थीं .. हमें भी इशारा किया टैक्सी की तरफ हम उसमें बैठ गए और उसे बताया हमें लिटिल इंडिया जाना है .. एक बहुत ही अच्छी बात सभी मीटर से चलते हैं कोई सौदेबाजी नहीं ...जैसे जैसे हम बढ़ते जा रहे थे सिंगापुर की गगनचुम्बी दमकती इमारतें , रात की रोशनियों से जगमग कुदरती नज़ारे एक अलग ही छटा बिखेर रहे थे ... अगर कहें कि तारे जमीं पर उतर आये थे तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी ... लगभग आधे घंटे में हम होटल पहुँच चुके थे जोकि पहले से ही बुक था .. ..
काउंटर पर हमने बताया बुकिंग किस नाम से है और हमें कमरा नंबर दे दिया गया ... . हम सब कमरे में गए थोड़ा आराम किया ... होटल में वाई फाई था इसलिए सबसे पहले हमने अपने पहुँचने की भारत सूचना दी ... और फिर बाहर निकल गए रात्रि भोजन के लिए और एक सिंगापुर की सिम लेने के लिए ... ताकि जब हम बाहर हों तो आराम से हम अपनों संग अपने अनुभव बाँट सकें... 15 डॉलर की हमें सिम मिल गई थी हमारी जरुरत अनुसार ... 

यहाँ घूमते हुए हमें लग रहा था हम दिल्ली की ही सड़कों पर घूम रहे हैं बिलकुल वैसी ही संकरी गलियां नजर आ रही थी,वैसे ही सामान दुकानों से बाहर तक निकला हुआ था,वैसी ही महक और वैसे ही लोग जैसा कि नाम से ही जाहिर था हम लिटिल इंडिया में घूम रहे थे ... सिर्फ सफाई यहाँ बहुत थी और सब सुचारू रूप से चल रहा था ... 

उसके बाद तलाश शुरू हुई शाकाहारी खाने की जो हमें कहीं भी आस पास ढंग का नहीं मिला .. दाल रोटी से काम चलाया लेकिन कैसी थी यह मत पूछो ..  माँसाहारी खाना हर जगह उपलब्ध है .. अच्छे खाने की तलाश अगले दिन पर छोड़कर हम होटल लौट आये ..... 
सुबह से थकान तो थी ही जल्दी ही हम नींद की आगोश में थे ... .. ..

अगले दिन सुबह जैसे ही शौचालय जाना हुआ तो जान पड़ा कि आधुनिक सब सुविधा तो है लेकिन ना तो सीट में जेट है ना ही मग चौकी और बाल्टी ,सिर्फ टिश्यू और शावर से काम चलाना है ... .. आइये सबसे पहले जानें यहाँ हम रह रहे थे ...
लिटिल इंडिया :--
इसे छोटा भारत कहें तो कोई गलत नहीं होगा इस बाजार में भारतियों की संख्या सबसे अधिक है ,यहाँ हर तरह के पकवान उपलब्ध हैं ,भारतीय पोशाकें ,भारतीय खाना और मिठाइयाँ ,भारतीय रेस्तरा वगेरह ,छोटी छोटी दुकानें ,संकरी सड़कें... इसी में एक आधुनिक माल भी है मुस्तुफा माल ..... 


तैयार होने के बाद हम घूमने निकल गए .. हमें होटल के बाहर ही टैक्सी मिल गई थी पहले से ही तय था हमें सेन्टोसा जाना है |
टैक्सी ने जैसे ही हमें सेंटोसा के बाहर उतारा ऐसे लगा हम एक अलग ही सपनों की दुनिया में आ गए हैं ... निसंदेह सिंगापुर में ज्यादा जगह रात को घूमने की हैं जब यहाँ रोशनियाँ बरसती हैं तो आपका मन ख़ुशी से हिलोरे लेने लगता है ,यहाँ रात नहीं होती जी क्योंकि रोशनियाँ अँधेरे को ढक लेती हैं .... 

सेंटोसा द्वीप :--
सिंगापुर का पर्याय है सेंटोसा द्वीप जोकि एक प्रमुख पर्यटक केंद्र और मुख्य आकर्षण है सिंगापुर का ... यहाँ पहुँचने के लिए आप बस,केबल कार ,MRT [मास रैपिड ट्रांजिट ]यानि यहाँ की मेट्रो और निसंदेह टैक्सी का प्रयोग तो कर ही सकते हैं .... यहाँ पर इतना कुछ है देखने को और अनुभव करने को कि आपको दो दिन भी इसे पूरा देखने के लिए कम ही लगेंगे ... इसके मुख्य आकर्षण अग्रलिखित है ... 




*यूनिवर्सल स्टूडियो :-- यहाँ प्रवेश के लिए  70$ से 200$ तक कई तरह के पैकेज हैं ..लगभग 1 बजे हमने टिकट लेकर जैसे ही प्रवेश किया तो मुँह से अनायास ही निकला 'वाह' अद्भुत नजारा हॉलीवुड की दुनिया में हम पहुँच गए थे ..एक लैगून के इर्दगिर्द एक फ़िल्मी दुनिया बसाई गई है इसमें लगभग 30 रेस्तरां और फूड कोर्ट हैं सड़क पर हाकर भी हैं जिनसे आप पानी कोल्ड ड्रिंक्स कुछ स्नैक्स भी ले सकते हैं ..लेकिन विदेश में आये हैं और आप शाकाहारी हैं तो आपको घूमते हुए कुछ खाने को नहीं मिलने वाला .. जबकि हम भारत से कुछ खाने की व्यवस्था कर के आये थे लेकिन मालूम नहीं था कि हमें घूमने जाने वक्त भी खाना साथ ले जाना बहुत जरुरी है .. तो जाहिर था हमें कुछ खाने को ख़ास मिला नहीं .. वैसे यहाँ पर जगह जगह पीने के पानी की व्यवस्था अच्छी है लेकिन ठंडा नहीं है ... शनिवार और रविवार यहाँ रात में हॉलीवुड शो भी होते हैं सड़कों पर ही ...



दुनिया की सबसे ऊँची रोलर कोस्टर ,द लॉस्ट वर्ल्ड,फार फार अवे, क्रेन डांस,लेक ऑफ़ ड्रीम्स यहाँ पर भी लेजर शो होता है ,फेस्टिव पार्क,प्राचीन मिस्र के यादगार क्षेत्र ..वगेरह वगेरह यूनिवर्सल स्टूडियो की शान हैं .. अगर सूर्य देवता मेहरबान रहते हैं तो आप गर्मी में बहुत मुश्किल से घूम पाते हैं ... 4 बजे हम बाहर आ गए थे क्योंकि बाकी सेंटोसा भी देखने की इच्छा थी .... 

फिर हम पहुँचे वाटरफ्रंट स्टेशन के पास ..यहाँ से मोनोरेल चलती है तीन स्टेशन में यह कड़ी का काम करती है ,हर स्टेशन पर उतरकर आप बटरफ्लाई पार्क ,टाइगर टावर,केबल कार, मर्लियोन टावर,एडवेंचर कोव,सिलोसो बीच, इम्बिया बीच यहाँ पर विंग्स ऑफ़ टाइम के नाम से मशहूर शानदार लेजर शो होता है ,अगर यह आपने नहीं देखा तो आपने कुछ नही देखा ...  आई फ्लाई है जिसमे आप उड़ सकते हैं और भी बहुत कुछ देखने को है उसके पैकेज आप मनमर्जी से ले सकते हैं .... 





सेंटोसा के अन्य आकर्षण :--    
दुनिया का सबसे बड़ा अंडरवाटर वर्ल्ड एक्वेरियम ,जिसमे पानी में एक लम्बी सुरंग में आप घूमते है और ग्लास के बाहर सभी समुद्री जानवर यानि एक तरफ पानी के नीचे की दुनिया में आप स्वयं को समुद्र में महसूस करते हैं तो दूसरी तरफ पानी के ऊपर की दुनिया में डोल्फिन के साथ समय बिताकर आप रोमांचित हो जाते हैं ,रिसॉर्ट्स वर्ल्ड [सबसे मंहगा कैसिनो],सेंटोसा सिनेब्लास्ट ,फ्लाइंग ट्रैपीज,गो ग्रीन साइकिल ,वेव हाउस सेंटोजा यहाँ नए लोगों को लहरों के दांवपेच सिखाये जाते हैं  और भी बहुत कुछ ... 

लेजर शो देखने के बाद हम मैकडोनाल्ड चले गए वहां शाकाहारी में सिर्फ फ्रेंच फ्राइज थीं .. सुबह से काफी थक गए थे 10 बज चुके थे ..इसलिए हमने वापिस आने का फैसला किया ..वही से हमने टैक्सी ले ली थी .. लेकिन वापिस पहुँचकर हम होटल चले गए तो वापिस खाना खाने के लिए जाने का मन नही किया ,जो कुछ साथ लाये थे वही खाया और सो गए ... 

क्रमशः भाग 3....

सिंगापुर यात्रा संस्मरण भाग 1.

परियों के शहर सिंगापुर में 

यात्रा करना एक शौक के इलावा मुझे उत्साहित करता है वहां की अलग भाषा ,संस्कृति ,परिवेश ,आबो हवा, को पास से महसूस करने के लिए ... विदेश की वनस्पति ,मौसम, बोल चाल ,रहन सहन ,उनकी सोच किस तरह से अलग है अपने देश से ,मुझे प्रेरित करते हैं कुछ लिखने के लिए इसलिए आपके समक्ष है मेरा सिंगापुर यात्रा संस्मरण ... 
जैसा कि हम लोग अक्सर बोलते हैं की दाने दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम .. यह दाने हमें कहाँ से कहाँ तक ले जायें और कब बिना किसी पूर्व नियोजित कार्यक्रम के ले जायें कहना मुश्किल है .. ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ ..रात में लगभग 11.30 बजे मैं सो चुकी थी तभी बेटे ने मोबाइल पकड़ाते हुए कहा बात करो और दूसरी तरफ से आवाज आई सिंगापुर चलना है मैंने भी आधे नींद में ही पूछ डाला कब ?
11 को .. 11 मई से 16 मई तक ... नहीं ..नहीं जा सकती सोनी का पहला पेपर है 12 को .. उसे अकेला छोड़ना ठीक नहीं ... [सोनी मेरा लाडला जो बी.कॉम. के पेपर दे रहा है ] यह कह कर मैं दोबारा सो गई ... सुबह डैडी जब काम पर चले गए तो उनका फ़ोन आया जा क्यों नहीं रही ..चली जा .. फिर बड़े बेटे का फ़ोन आ गया ..जाओ जाओ ...सोनी कर लेगा पेपर की तैयारी ... मैंने भी हाँ कर दी .. अगले दिन हमारी टिकट हो चुकी थी ... बचपन में ज्योतिषी को हाथ दिखाकर अक्सर पूछा जाता था ..विदेश जाने का संयोग है ... वो आज पूरा होने वाला था ... ..

      मैं सरिता भाटिया दिल्ली से हूँ ..आइये दोस्तों आप को भी ले चलूँ अपनी पहली विदेश यात्रा पर ...मेरे सपनों का शहर ...सिंगापुर... कुछ खट्टे और ज्यादा मीठे अनुभवों के साथ .... 
सिंगापुर 
सिंगापुर दक्षिण एशिया में इंडोनेशिया और मलेशिया के बीच स्थित एक आधुनिक ,संपन्न,आत्मनिर्भर ,अनुशासित, विकसित ,सर्व सुविधा युक्त बहुत से धर्मों ,संस्कृतियों ,भाषाओँ को एक जुट समेटे एक स्वतंत्र लेकिन महँगा शहर है ...यह 1965 में मलेशिया से अलग होकर एक स्वतंत्र राष्ट्र बना ....ऐसा कहा जाता है कि सुमात्रा का राजकुमार यहाँ शिकार के लिए आया तो उसने यहाँ सिंहों को देखकर इसका नाम रखा सिंहों का पुर यानि सिंगापुरा  ..जो बाद में सिंगापुर कहलाया ..  सिंह यहाँ का मुख्य प्रतीक भी है जिसे यहाँ पर मर्लियोन कहा जाता है ...सिंगापुर विश्व की प्रमुख बंदरगाहों में से एक और एक प्रमुख  व्यापारिक केंद्र भी है ..इसे प्रकृति का वरदान प्राप्त है यहाँ अपार सम्पदा है .. भारतीय यहाँ कई कारणों से खिंचे चले आते हैं ..सबसे पहले तो यह भारत के नजदीक है ,यहाँ भारतीय आबादी भी काफी है ,यहाँ मुख्य चीनी और अंग्रेजी भाषा बोली जाती है ...इसलिए बातचीत में आसानी रहती है ... सबसे ज्यादा यहाँ चीनी जनसंखया है, 8%यहाँ  भारतीय रहते हैं .. ....सिंगापुर को सपनों का रोशनियों का शहर कहें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी.....  




पहली विदेश यात्रा में बहुत सारी बातें ऐसी होती हैं जिनका उल्लेख किसी गाइड बुक में आपको नहीं मिलेगा आइये नजर डालते हैं कुछ जरूरी प्रक्रियाओं पर  ..विदेश जाने से पहले जिनका जानना  बहुत जरूरी है ...

पासपोर्ट :--तो जनाब सबसे पहले विदेश जाने के लिए आपके पास होना चाहिए पासपोर्ट जिसके बनाने की प्रक्रिया  अब काफी सरल है सब कुछ आजकल ऑनलाइन हो जाता है .. आपका फॉर्म ऑनलाइन ही भरा जाता है  और साथ ही आपकी सुविधा अनुसार पासपोर्ट ऑफिस जाने की तिथि निर्धारित हो जाती है ... आप निश्चित तिथि पर वहां जाकर  सब औपचारिकतायें पूरी कर सकते हैं ...इसके बाद घर पर आकर एक ऑफिसर आपकी इन्क्वायरी  करता है .. किन्हीं दो पड़ोसियों के आई डी की फोटोकॉपी और फॉर्म पर उनके हस्ताक्षर लेकर वो चला जाता है ..   सब होने के बाद आपका पासपोर्ट आपके घर आ जाता है लगभग एक महीने के अंदर ... पासपोर्ट पहले से आपके पास होना चाहिए और उसकी समय सीमा 6 महीने तक वैलिड होनी चाहिए ...

वीजा :-- वीजा कानून हर देश के अलग हैं इसलिए उसके अनुसार ही चलें कुछ वहां पहुँचने पर आपको एअरपोर्ट पर वीजा देते हैं .. कुछ का यहीं से वीजा लगवाकर जाना पड़ता है .. सिंगापुर के वीजा के लिए ऑनलाइन अप्लाई  करने के बाद तीन वर्किंग डेज  में वीजा मिल जाता है और यह  इ -वीजा ही मिलता है ..इसलिए वीजा के लिए हमने एजेंट को पकड़ा क्योंकि हमारे पास समय कम था ... और उसे आगे लिखे जरूरी कागजात दिए ... 

*एक फोटो  जोकि 80% जूम की गई हो और पूरा चेहरा नजर आ रहा हो , पीछे वाइट बैकग्राउंड ,मैट फिनिश के साथ ... ,
*इ -टिकट की फोटोकॉपी ,
*वास्तविक पासपोर्ट ..साथ में उचित पन्नों की फोटोकॉपी संलग्न करें 
*आपकी आखिरी तीन महीने की बैंक स्टेटमेंट ,जिसमें 50,000 रुपये तक की राशि होनी चाहिए .. 
अगर आपके जरुरी कागज़ अंग्रेजी भाषा में नहीं हैं तो उनका अनुवाद साथ में संलग्न होगा .. 
और सबसे जरुरी जिसके बिना कोई भी आगे नहीं बढता ..वीजा फीस जोकि लगभग 30 डॉलर है यानि 1500 रुपये और एजेंट अपनी कमीशन लेगा वो अलग 500 से ऊपर कुछ भी .... 
कुछेक में अगर किसी कम्पनी का इंट्रोडक्शन लैटर उनकी अनुमति के साथ संलग्न कर दें तो वीजा मिलना और आसान हो जाता है ...  

पासपोर्ट हमारा पहले से तैयार था 
वीजा 9 को मिल चुका था ..अब हमें रूपयों को सिंगापुर डॉलर में बदलवाना था ..और कुछ शॉपिंग करके पैकिंग करनी थी ...

करेंसी यानि मुद्रा :-- यह बहुत ही खेद की बात है कि हम रूपयों को यानि भारतीय मुद्रा को विदेश में जाकर डॉलर में बदलवा नहीं सकते ..इसलिए सिंगापुर डॉलर के इलावा हमें रुपये को यू एस डॉलर में बदलवाना पड़ा ..इसका बिल लेकर साथ रखना नहीं भूलें ..   

हमारी 11 मई की सुबह 9.40 की फ्लाइट थी .. विदेश जाने के लिए हमें उड़ान से लगभग 3 घंटे पहले जाना पड़ता है ताकि हम आसानी से सब प्रक्रियाओं से गुजर सकें .... हम 6.30 बजे घर से निकल गए थे ... जैसा की पूर्व विदित था कि इंदिरा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के टर्मिनल 3 पर हमें जाना था ,जोकि अब सभी सुविधायों से सुसज्जित हो चुका है ...यहाँ से आप अपनी उड़ान की पूर्व सूचना ले सकते हैं  ... 
मन में एक ख़ुशी मिश्रित बेचेनी थी अब तक गेट तक छोड़ने तो बहुत बार आये थे आज पहली बार विदेश के लिए जा रहे थे ..वहां हम जब गाड़ी से उतरें तो पास ही सड़क पर बहुत ट्राली खड़ी रहती हैं उसमें सामान रखकर घर वालों से विदा लेकर हम गेट नंबर 5 के सामने पंक्ति में खड़े हो गए थे ... हमने अपनी टिकट ,पासपोर्ट ,वीजा हाथ में ले लिया था ताकि लम्बी पंक्तियों से बचा जा सके .. यहाँ आपके डाक्यूमेंट्स का निरिक्षण किया जाता है और अंदर भेज दिया जाता है ..

बोर्डिंग पास :--उसके बाद हम जेट एयरवेज की अतर्राष्ट्रीय उड़ान के काउंटर पर चले गए यहाँ हमारा सामान जिसे लगेज कहा जाता है ले लिया गया  ..जिसका भार उचित होना चाहिए ... और हमें बोर्डिंग पास यानि हमारी टिकट दे दी गई  जिस पर नाम के साथ .. कहाँ से कहाँ जा रहे हैं उड़ान संख्या ,उड़ान का समय रहता है ..इस पर ही हमारे लगेज की एक स्लिप लगा दी गई जिससे हम उतरने के बाद अपना सामान ले सकते हैं  .. अब हम चेक इन कर चुके थे ... चेक इन यानि सूचना देना की हम एअरपोर्ट पर आ चुके हैं  ...बाकी जितने बैग थे कैमरा वगेरह हमने हाथ में ले लिए थे जिन्हें हम हैण्ड कैरी के नाम से जानते हैं  .. सामान को घर पर ही हमने तोल लिया था इसलिए कोई दिक्कत नहीं थी .... 

इमीग्रेशन :-- विदेश जाने के लिए एक इमीग्रेशन फॉर्म भरना होता है जो हमने वहीं से लिया और भर दिया ... उसमे वैसे ही नाम भरना होता है जैसे आपके पासपोर्ट में हो जैसे भाटिया सरिता .. फ्लाइट नंबर .. फ्लाइट का समय .. तिथि.. आपका पता ... वगेरह  ...
इसे भरकर बहुत सारे काउंटर होते हैं .. उनके सामने किसी भी पंक्ति में खड़े हो जाइये अपनी बारी का इंतज़ार कीजिये वो आपसे साथ साथ कुछ प्रश्न पूछते रहते हैं कहाँ जा रहे हो ? क्यों जा रहे हो ? किसके पास जा रहे हो ? पहली बार जा रहे हो ... वगेरह वगेरह ..घबराएँ नहीं ..आराम से जवाब दें .. वहां आपके पासपोर्ट पर स्टेम्प यानि ठप्पा लगा दिया जाता है ... 
ठप्पा लगने के बाद मन में एक अद्भुत ख़ुशी और राहत को हमने महसूस किया जैसे पप्पू पास हो गया हो ...  
आखिरी चेकिंग :--
यहाँ से निकलने के बाद आप की विमान पर जाने से पहले अंतिम और पूर्णतया चेकिंग होती है जो मेटल डिटेक्टर के साथ की जाती है ...पुरुष अलग पंक्ति में और महिलायें अलग पंक्ति में  ..जो भी सामान हाथ में है फ़ोन ,पर्स ,लैपटॉप वगेरह उसे एक ट्रे में डाल कर एक्स रे मशीन में से निकाला जाता है .. एक विशेष बात का ध्यान इसमें रखें कोई भी तरल पदार्थ या कुछ भी नुकीला रेजर या कैंची वगेरह आप हैण्ड कैरी में नहीं ले जा सकते इसलिए इसे पहले से ही लगेज में रखें ...इसके बाद आप फ्री हैं कुछ खान पान करना हो तो कर सकते हैं ........
  
हमारी चेकिंग के बाद अब हम बिलकुल फ्री थे ... बोर्डिंग लगभग एक घंटा पहले शुरू होनी थी  .. क्योंकि सुबह के घर से निकले थे कुछ भी खाया नहीं था इसलिए हमने कुछ खान पान किया कुछ फोटो खींचे और अंदर बनी दुकानों पर विंडो शौपिंग की .. इसके बाद अपने हैण्ड बैगज के साथ हम बोर्डिंग एरिया में जाकर बैठ गए .... 

निर्धारित समय पर हमारी फ्लाइट की बोर्डिंग शुरू होने की अनाउंसमेंट हो चुकी थी .. विमान में सबसे पहले प्रीमियर क्लास ,बिज़नेस क्लास और फिर इकॉनमी क्लास के यात्रियों को बैठने के लिए आमंत्रित किया जाता है .. 
हम अब एक गलीनुमा गैलरी में प्रवेश कर गए थे जो विमान में जाकर ही समाप्त हो रही थी ..गेट पर दो परिचारिकाओं [ एयर होस्टेस ] ने जो पीले रंग की मिड्डी पहने हुए थीं हमारा बोर्डिंग पास देखकर हमारी सीट किधर है बता दिया था ... हम अपना सीट नंबर देखकर उस पर विराजमान हो चुके थे .... और जो भी हैण्ड कैरी थे उनको हमारी सीट के ऊपर बने बॉक्स में रख दिया था ... 
हर सीट के सामने दूसरी सीट के पीछे जैसे की एक एक स्क्रीन लगी हुई थी उसी में अटैच रिमोट था और एक फोल्डिंग टेबल था ... उस पर आप अपनी मनपसंद फ़िल्में देख सकते हैं गाने सुन सकते हैं ... या कुछ भी और अपना काम कर सकते हैं ... 
हमने भी उस पर अपनी अपनी पसंद के प्रोग्राम लगा लिए थे .. तभी स्क्रीन पर ही पायलेट ने अपना और अपने साथी का नाम अनाउंस करके सब यात्रियों का स्वागत किया और अपनी सीट बेल्ट बाँधने का निर्देश दिया ..और सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बंद करने के लिए कहा गया ... साथ ही जरूरी हिदायतों की उद्घोषणा हो रही थी जोकि सामने बैग में एक पुस्तिका के रूप में भी थी जिनको पढने के लिए कहा गया ... हमने सीट बेल्ट बाँध कर अपनी सीट सीधी कर ली थी और मोबाइल को फ्लाइट मोड पर कर दिया था ... कुछ ही देर में विमान रन वे पर भाग रहा था ... और फिर एक झटके से हवा में था ... सामने स्क्रीन पर उसकी उंचाई के बारे में मीटर और फीट में बताया जा रहा था ... भारतीय समय .. कितने घंटे की फ्लाइट है और सिंगापुर का समय .. वो सब स्क्रीन पर आ रहा था .. कुछ ही देर में हम बादलों में थे .. लगभग 42,000 फीट की ऊँचाई पर ... साथ साथ हमने अपने मोबाइल में और कैमरे में बाहर के दृश्यों को कैद कर लिया था ..... 
अब विमान सुरक्षित अपनी उड़ान पर था .. सुबह के कोई 10 बजे का समय था ...थोड़ी ही देर में परिचारिकाएँ यानि हवाई वेटर ... दो तीन तरह के जूस ,शराब के साथ चिप्स लेकर आ गई थी ,सबको उनकी जरुरत अनुसार दे रहीं थी ,हम भी फिल्म देखते हुए जूस की चुस्कियां ले रहे थे ... थोड़ी  देर बाद ही खाना लेकर आ गए थे जिसमे एक पैक में चावल थे उसके ऊपर ही एक दाल और एक सब्जी डाली गई थी ,एक पैक्ड दही , पानी की छोटी बोतल और साथ ही चाय के लिए कप ,और चाय बनाने के पाउच थे ... खाना तो स्वादहीन ही होता है ..हॉस्पिटल का इससे अच्छा होता है ... जैसे तैसे हमने खाना निगल लिया था .. परिचारिकाएँ खाली पैक ले गई थी और चाय के लिए गर्म पानी दे रही थी जिसको भी चाय पीनी हो ... इसके बाद कुछ लोग आराम फरमा रहे थे ..कुछ मेरे जैसे जिनको नींद नही आ रही थी वो फिल्म में अपना समय बिता रहे थे ... सबकी सीट पर एक एक शाल था जो ठण्ड लगने पर आप प्रयोग में ला सकते हैं ... समय भी पंख लगा कर उड़ रहा था जैसे जैसे हम सिंगापुर की ओर बढ़ रहे थे बेचैनी और उत्सुकता बढ़ रही थी ... आखिर वो समय आ ही गया उद्घोषणा हो चुकी थी हम लैंड करने वाले हैं कुर्सी की पेटी बाँधने का निर्देश हो चुका था ..और फिर हम रन वे पर भागते हुए अपने गंतव्य पर पहुँच चुके थे ... विमान से बाहर आकर हम भी काफी लम्बा रास्ता तय कर के चांगी एअरपोर्ट को उत्सुकता से देख रहे थे ...  



   
क्रमशः भाग 2...  

मंगलवार, 16 फ़रवरी 2016

वैष्णो देवी यात्रा भाग 5.

दोस्तों चलिए चलते हैं पुनः वैष्णोदेवी यात्रा पर ......अभी अभी बेटे की शादी की है तो हम सब 15 लोग 9 दिसम्बर, 2015 को माँ वैष्णोदेवी के दर्शन के लिए निकल पड़े ,टिकट हमारी पहले से ही बुक थीं ...आजकल ऑनलाइन टिकट की सुविधा है जो आप आसानी से कर सकते हैं या करवा सकते हैं  कुछ और बदलावों की ओर आपका ध्यान आकर्षित करते हुए ले चलती हूँ आपको मैया के दरबार में .. 
नई गाड़ियाँ :..
सबसे पहले तो कटरा तक नई गाड़ियों के शुरू होने की आप सबको बधाई | छः गाड़ियों में 3 गाड़ियाँ प्रीमियम हैं जिनमे से एक पठानकोट,दो जम्मू से एक गुहाटी एक्सप्रेस ,एक अहमदाबाद से एक दिल्ली से चलेगी |

दिल्ली से चलने वाली गाड़ी का नामकरण प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्रमोदी जी ने किया है ..श्री शक्ति एक्सप्रेस...  जिसकी सुविधा से आप परिचित ही हैं फिर भी थोड़ी सी रौशनी डालती हूँ इस पर ..यह उनके लिए है जो पैसे के बदले सुविधा चाहते हैं ... एसी एक्सप्रेस ट्रेन श्री शक्ति एक्सप्रेस (22461/22462) 14जुलाई, 2014 से शुरू की गई है । यह ट्रेन नई दिल्ली से रोजाना शाम साढ़े पांच बजे चलकर अगले दिन कटरा स्टेशन सुबह 5:10 पर पहुँचती है | वापसी में यह कटरा से रात 10:55 पर चलकर अगले दिन नई दिल्ली स्टेशन पर सुबह 10:45 बजे पहुँचती है। ट्रेन वातानुकूलित है। इसमें एक कोच एसी फर्स्ट, दो एसी सेकंड और नौ कोच एसी थर्ड के है। दोनों दिशाओं में यह अंबाला कैंट, लुधियाना, जालंधर कैंट, पठानकोट, जम्मू तवी और उधमपुर रेलवे स्टेशन पर रुकती है। ट्रेन के अंदर सफाई बहुत बेहतर है ,शौचालयों में बाकायदा साबुन वगेरह की व्यवस्था है ,कूड़ादान रखा गया है अब आप पर निर्भर है की आप उसका प्रयोग कितना करते हैं | खाना स्वादिष्ट है , बिस्तर अच्छे हैं ... 




स्टेशन पर उतरते ही आप बहुत सुखद और प्रफुल्लित अनुभव करते हैं स्टेशन को देखते ही आपके चेहरे पर एक अलग चमक आ जाती है एक्सेलेटर आपको ऊपर ले जाता है और आप एक खुले प्रांगन में पहुँचते हैं यहाँ भवन के लिए दर्शन की पर्ची भी आप यहीं ले सकते हैं जो बाकायदा आपकी फोटो खींचने के बाद आपके नाम और शहर के साथ क्रम संख्या अंकित पर्ची आपको दी जाती है .... 


बाहर निकलते ही हमने वैन टाइप गाड़ी ली जिसमे 9 लोगों के बैठने की सुविधा थी साथ में एक ऑटो और हम पहुँच गए निहारिका धर्मशाला में जो बस अड्डे के बिलकुल नजदीक है इसकी भी पहले ही बुकिंग हो चुकी थी .. इस समय काफी खाली था क्योंकि सर्दी में भीड़ कम ही रहती है ... बाकी फॉर्मेलिटी पूरी करने के बाद हम ने एक हाल ले लिया था जिसमे ऊपर नीचे बेड लगे थे ..हाल में बहुत सारे पॉइंट थे यहाँ आप अपने मोबाइल लैपटॉप वगेरह चार्ज कर सकते हैं इसका किराया 160 रुपये प्रति बेड था   ...पास ही दो शौचालय थे यहाँ सुविधा अनुसार गर्म पानी था ...पूरी सफाई थी ... खाना अंदर ले जाने की मनाही थी ..क्योंकि लोग कमरों में गन्दगी फैला कर चले जाते हैं ....इसमें ही एक भोजनालय भी है .. जिसका खाना इतना बढ़िया नहीं था ..वैसे बाहर ही बहुत सारे ढाबे और रेसटोरेंट हैं जिनका जिक्र मैं पहले वाले भागों में कर चुकी हूँ ......
   सबने थोड़ी देर विश्राम करने के बाद तैयार होना शुरू किया और हमने अपना अपना जरुरी सामान लिया और चढ़ाई करने के लिए निकल गए .... नाश्ता लेने के बाद प्रवेश तक जाने के लिए ऑटो 50 रुपये में चलते हैं जबकि वापिसी में यही ऑटो 100 रुपये में आते हैं .... वहां पहुँच कर क्योंकि सर्दी काफी थी और बरसात भी शुरू हो गई थी तो सभी ने फिसलन से बचने के लिए एक एक डंडी हाथ में ले ली थी और बरसाती जो वहीँ मिल रही थी सबने पहन रखी थी  ऐसे लग रहा था जैसे दरबार पर जाने का यह कोई ड्रेस कोड हो ... हर कोई इसी रंग में नजर आ रहा था ... 
दरबार पर जाने के लिए सामान वगेरह उठाने के लिए पिट्ठू की सुविधा उपलब्ध है लेकिन एक हफ्ते से सभी पिट्ठू, घोड़े वाले हड़ताल पर थे क्योंकि सरकार दरबार तक की बस सेवा शुरू करने जा रही थी जो १ जनवरी से शुरू होनी थी मात्र 500रुपये में जो बुजुर्गों के लिए और गरीब लोगों के लिए एक वरदान साबित होती ... लेकिन क्योंकि इससे पिट्ठू की और घोड़े वालों की मनमानी पर रोक लग जाती इसलिए हड़ताल जारी थी ... कोई कोई घोड़े वाले अपनी यूनियन की आँख बचाकर डबल रेट में सवारी वगेरह लेकर जा रहे थे | मौसम काफी ख़राब था रुक रुक कर बारिश होती रही और हम आगे बढ़ते रहे .... सबसे बड़ी दिक्कत थी सामान लेकर जाने की जो बच्चों ने बहुत ही मुश्किल से वहां तक पहुँचाया था ... इसलिए हमेशा ध्यान रखें जब भी दरबार पर जायें बहुत ही कम सामान लेकर चलें और एक बड़े बैग की बजाये दो तीन छोटे बैग तैयार करें ताकि जरुरत पड़ने पर कोई परेशानी ना हो ... 
आध्कुंवारी के पास से ही दरबार तक के लिए बैटरी कार चलती है  जो मनमर्जी से चल रही थी ...इसलिए वो भी नहीं मिली थी ... तो इतनी सर्दी झेलते हुए हम बहुत मुश्किल से बहुत लेट दरबार पहुंचे थे लगभग 8 बजे के बाद  .... उसके बाद पहले से बुक हाल में हमने विश्राम किया ताकि सुबह मैया की हाजिरी लगा सकें ...  .उठने में थोड़ी देरी हो गई लाइट चली गई थी .. इसीलिए बाद में दिसंबर की सर्दी में बर्फानी पानी से स्नान करना पड़ा, इसलिए जब भी कभी लाइट जाए तो गर्म पानी रहने तक अपने काम निपटा लें .. पहाड़ों की लाइट है जाने कब बिगड़ जाए |वर्ना बाहर धर्मशाला से दूर बहते झरने जैसे शीत पानी से नहाने के लिए तैयार रहें ... ऐसी सर्दी में जाने का फैसला तो गलत था ही ऊपर से नंगे पैर दरबार के अंदर हाजिरी लगाने जाना ... जैसे कोई परीक्षा ले रही हो माँ ...  बाहर निकलते ही जगह जगह अलाव थे जिनके पास बैठकर सर्दी से बचाव किया ... 





अब सागर रत्ना की एक शाखा दरबार पर भी है इसलिए आप सरकारी भोजनालय के साथ साथ इसका आनंद भी उठा सकते हैं ...
अब खाना वगेरह खाकर .. वापिसी का समय आ गया था ...सोचा बैटरी कार की टिकट लेते हैं इसलिए लाइन में लग गए ... जिसमे बाद में पता चला प्रति व्यक्ति सिर्फ दो टिकट दी जाएँगी ...तो जल्दी ही अपने और लोग लाइन में खड़े हो गए लेकिन कुछ ही टिकट बाँटने के बाद खिड़की बंद कर दी गई ... बाद में पता चला की टिकट पहले से ही अन्दर  से बाँट दिए गए थे ... और बाकी बचे टिकट की जगह ड्राईवर खुद ही कुछ जयादा पैसों में सवारी को बिठाता जा रहा था तो जनाब जब तक पता चला तब तक फिर से देर हो गई थी ..अब पैदल चलने के इलावा अपने पास कोई रास्ता नहीं बचा था ... तो पूरा रास्ता हमें खुद ही तय करना पड़ा बिना किसी पिट्ठू ,घोड़े की सहायता के ... जान बची सो लाखों पाए लौट के बुद्दू घर को आये ... 
अगले दिन की हमारी वापिसी थी इसलिए पूरा दिन घूमने में निकला ... फिर जम्मू के लिए एक बस ले ली थी जो पूरी हमारे पास थी .. कटरे से जम्मू के रास्ते में बहुत सुंदर दृश्य देखने को मिलते हैं ... उनका आनंद भी लेते हुए आइये ... जबकि यह कुदरत का दोहन हो रहा है लेकिन आँखों को सुकून भी मिलता है ... 
शुभविदा दोस्तों मिलते हैं एक और रोचक यात्रा वृतांत के साथ ... 

                           लेखिका :.. सरिता यश भाटिया 
 

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...